वो कहते है ना कि शिक्षक के पास ही वो कला है,जो मिट्टी को सोने में बदल सकती है-
आप सब जानते है कि सबसे ज्यादा आवश्यक है शिक्षा| और उससे भी ज्यादा आवश्यक है एक शिक्षक जो उस शिक्षक को प्रदान करता है| उस शिक्षा से दुसरो को उनकी मंजिल पर पहुंचने में मदद करता है| और ऐसे कई शिक्षक है हमारे समाज में ज्ञान कि रौशनी को हर बच्चे तक पहुंचाने का निश्चय कर लिया है| ऐसे ही एक शिक्षक है,जिनका नाम है योगेन्द्र सिंह| ये नरसिंहपुर,मध्य प्रदेश के शासकीय माध्यमिक शाला,खेरुवा के प्रधान है|
योगेन्द्र सिंह ये पद पे नरसिंगपुर में वर्ष 2001 में शिक्षक के रूप में आए| साथ ही दो दशकों में योगेन्द्र सिंह ने अपने स्कूल के विकास पोर छात्रों की शिक्षा के लिए कई कार्य भी किए| 2 अक्टूबर 2016 में योगेन्द्र सिंह ने शपथ ली कि वह स्कूल सफ़ेद वस्त्र पहन कर ही जायँगे| तब से वे इस शपथ का निरंतर पालन कर रहे है| साथ ही योगेन्द्र जी ने अपने छात्रों को पर्यावरण एवं यातायात जागरूकता के लिए भी प्रेरित किया है, इसके लिए इनके छात्रों को हेलमेट का वितरण भी किया गया है|
साथ ही अपने स्कूल में उन्ही के द्वारा एक गार्डन का निर्माण स्मार्ट क्लास के माध्यम से छात्रों को पढ़ना अधिक से अधिक अभिभावकों से संपर्क में रहकर बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करने कि कोशिश करते है| टी एल एम के माध्यम से छात्रों को शिक्षा प्रदान करने का कार्य भी इनकी प्राथमिकता रहती है|
साथ ही इनकी संस्था के द्वारा शिक्षा में उत्कृष्ट छात्रों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य प्रशस्ति पत्र एवं पुरस्कार वितरण भी किया जाता है| पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में छात्रों को एवं समाज को प्रोत्साहित करने का काम भी इनके द्वारा किया जाता है| स्कूल के छात्रों के माध्यम से लोगों को यातायात नियमों के पालन करने के लिए समझाइश देने का कार्य किया जाता है क्षेत्रीय कलाकारों को भी प्रोत्साहित करने काम संस्था के द्वारा किया जाता है| इस प्रकार वे बच्चों को अनुशासित बनाकर उनके भविष्य के लिए एक मजबूत नींव तैयार कर रहे हैं, क्योंकि अनुशासन के मार्ग पर चलना कठिन अवश्य है परंतु सबसे उचित है।
साथ ही योगेन्द्र सिंह की शिक्षा के जरिये समाज परिवर्तन हेतु कार्य तो कर ही रहे है, सामाजिक कार्यो के जरिए भी अपने छात्रों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने है| उनकी रूचि शिक्षा के बाद पर्यावरण में है,वर्ष 2019 से योगेन्द्र सिंह प्रत्येक रविवार को अपने नगर में वृक्षारोपण करने का निश्चय किया है|और इसके लिए उन्होंने वृक्षमित्र नाम की एक संस्था की स्थापना की है, जो कि पिछले 85 सप्ताहों से प्रत्येक रविवार नगर के विभिन्न क्षेत्रों में वृक्षरोपण कर रही है|
यह संस्था का कार्य केवल वृक्ष रोपित करने पर खत्म नहीं हो जाता| वे इस बात का पूरा ध्यान रखते है,कि उनके द्वारा लगाए गए पौधों का नियमित रूप से ध्यान रखा जाए, जब तक कि वे विशाल वृक्ष नहीं बन जाते| इस अभियान के जरिए उन्होंने अपने विद्यार्थियों के मन में पर्यावरण के प्रति सम्मान व उनके कर्तव्यों का निर्वहन करवाया ज्ञान कि भी शिक्षा प्रदान की है|
सिर्फ शिक्षा ही जरूरी नहीं बल्कि उस शिक्षा से आप कितने शिक्षित होते है ये जरूरी है, साथ में ये शिक्षा सिर्फ पन्नों तक सिमित नहीं है बल्कि उसके इलावा पर्यावरण में उस शिक्षा का इस्तेमाल करना ये जरूरी है| योगेन्द्र सिंह ने भी व्यावहारिक ज्ञान व आम ज़िन्दगी में सीखी हुई बातों का उपयोग कर उसके मायने समझने पर अधिक जोर दिया है| इसलिए वे प्रत्येक वर्ष स्कूल के स्थापना दिवस 19 दिसंबर को पाठशाला में एक बाल मेले का आयोजन करते है| जिसमे केवल छात्र ही हिस्सा लेते है| योगेन्द्र सिंह सामाजिक और व्यावहारिक दोनों ज्ञान से अपने छात्रों को परिपूर्ण कर रहे है| और गांव के बच्चों का भविष्य संवार रहे है|
Image Source:- www.google.com