Home Success story हरियाणा के धरमवीर सिंह का रिक्शे चलाने से लेकर करोड़पति बनने तक...

हरियाणा के धरमवीर सिंह का रिक्शे चलाने से लेकर करोड़पति बनने तक का सफर…

हरियाणा के धरमवीर सिंह की रिक्शे चलाने से लेकर करोड़पति बनने तक का सफर...
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आज हम जिनकी बात करने वाले है,वो एक मिसाल से काम नहीं,और ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्युकि जब कभी रिक्शा चलाने वाला आज खुद का बिज़नेस खड़ा कर चुका है| और सालाना 40 लाख रूपए कमा रहा है| हर कोई जिसे पाना चाहता है, धरमवीर सिंह ने अपने दम पर कुछ नया करने की चाहत के चलते मुकाम हासिल किया है|

अप्रैल 2006 में धरमवीर ने खुद की मशीने बनाई

1963 में जन्में धरमवीर को 2004 में राजस्थान में एलोवीरा और आंवला प्रोसेसिंग यूनिट में किसानों के एक समूह के साथ जाने का मौका मिला| यहीं से उन्हें खुद का बिज़नेस शुरू करने का आईडिया मिला,लकिन मशीनों की कीमतों के बारे में जानकर वह हैरान रह गए लकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी| अपने प्लान को ड्राप करने की बजाए उन्होंने खुद की मशीन बनाने का फैसला किया| अप्रैल 2006 में धरमवीर ने खुद की मशीने बनाई, जो कि शुरुआती स्तर पर एलोवीरा का ज्यूस निकलने के काम में आती थी | इसके बाद उन्होंने मशीने में कुछ नए सुधर कर उसे मल्टी-पर्पस मशीन में तब्दील किया|

कई तरह के फलों,बूटियों और बीजों कि प्रोसेसिंग भी संभव

धर्मवीर द्वारा बनाई गई मल्टी पर्पस मशीन एक पोर्टेबल मशीनियों है, जिसे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है| मशीन सिंगल फेज मोटर पर काम करती है और इसकी मदद से कई तरह के फलों,बूटियों और बीजों कि प्रोसेसिंग भी संभव है| साथ ही इसमें टेम्प्रेचर कण्ट्रोल और कंडनसेशन मेकेनिज्म जैसे कई अन्य फीचर्स भी मौजूद है| ये मशीन दो मॉडल्स में उप्लब्ध है| एक 50 किलो ग्राम और दूसरी 150 किलोग्राम कैपेसिटी वाली है|

धरमवीर ने देश के कई राज्यों में  अपनी मशीन बेचीं है

अपना सपना पूरा करने और बिज़नेस को भड़ाने के लिए माइक्रो वेंचर इनोवेशन फंड (एमवीआईएफ) के तहत एनआईएफ और जीआईएएन नॉर्थ ने उनकी मदद की| मल्टी पर्पस मशीन के लिए धरमवीर के नाम से एक पेटेंट एप्लीकेशन भी फाइल की जा चुकी है| धरमवीर ने देश के कई राज्यों में  अपनी मशीन बेचीं है,इसके अलावा उन्होंने एक मशीन कन्या भी एक्सपोर्ट की है| कभी रिक्शा चलाने वाले धर्मवीर आज कामयाबी की बुलंदियों पर पहुंच चुके है,और उनका टर्नओवर 40 लाख रुपए का है|

कारोबार से 35 महिलाएं भी जुड़ी है

उन्होंने एक वेजिटेबल क़तर मशीन भी बनाई है, जो एक घंटे में 250 किलो सब्जियों को काट सकती है| बिजली से चलने वाली इस मशीन की कीमत 6000 रूपए रखी गई है| उन्होंने फलों, सब्जियों, इलायची और जड़ी-बूटियों को सूखाने वाली कम कीमत की  एक मशीन भी बनाई है|

कंबोज ने बताया कि वे सेल्फ हेल्प ग्रुप कि महिलाओं को घरेलु स्तर पर खाद्य प्रसंस्करण के लिए मुफ्त में प्रशिंक्षर देते है और देश में अब तक 4000 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है| उनके कारोबार से 35 महिलाएं भी जुड़ी है|


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