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आईएएस सक्सेस स्टोरी: जानिए, हिंदी मीडियम के निशांत जैन कैसे बने यूपीएससी टॉपर?

आईएएस सक्सेस स्टोरी: जानिए, हिंदी मीडियम के निशांत जैन कैसे बने यूपीएससी टॉपर?
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निशांत जैन ने 2014 में यूपीएससी परीक्षा में टॉप किया 13वीं रैंक के साथ| मेरठ के निशांत हमेशा सफल रहने वाले,पहले यूपीएससी की परीक्षा में ही असफलता मिली| और एक असफलता के बाद फिर से खड़े होना और उसी जोश के साथ आगे बढ़ना मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं| इसी तरह हिंदी मीडियम के निशांत जैन के लिए यूपीएससी का सफर आसान नहीं था,पर उन्होंने हिंदी को हमशा अपनों ताकत समझा और अंत में इसी भाषा के साथ यूपीएससी परीक्षा में टॉप भी किया| जानते है निशांत जय के संघर्ष की कहानी| निशांत मेरठ के रहने वाले है| और एक बहुत ही साधारण परिवार से ताल्लुख रखते है|

उनकी शुरूआती शिक्षा से लेकर डिग्री कॉलेज तक की पूरी पढ़ाई हिंदी मीडियम से हुई| निशांत अपने हिंदी के चुनाव को लेकर एकदम क्लियर थे और उन्हें कभी भी इस बात को लेकर हीन-भावना नहीं रही| उनका मानना है कि ज्ञान होना जरूरी है,भाषा कोई भी हो यह मायने नहीं रखता,आपको बता दें, कि बहुत से लोग सोचते है ,कि वो हिंदी मीडियम से है,या फिर इंग्लिश मीडियम से है,और वो ये एग्जाम नहीं दें पायंगे या वो नहीं कर पायंगे| लकिन निशान जैन इसका बहुत अच्छा एग्जाम्पल है, और उनका मानना भी यही है,कि भाषा कोई भी हो ये हमे मायने नहीं रखता| इसी मंत्र और कॉन्फिडेंस के साथ उन्होंने अपनी पूरी पढ़ाई की|

निशांत मेरठ की एक छोटी सी जगह में मिडिल क्लास जॉइंट फॅमिली में रहते थे| वे बचपन से ही पढ़ाई में बहुत ब्राइट थे| हर क्लास में उनके अंक बहुत अचे आते थे| यही नहीं क्लास 12वीं में उनके जिले में सबसे अधिक अंक थे पर अपने सपने को लेकर क्लियर निशांत ने यूपीएससी की राह पर चलने के लिए ह्युमैनिटीज का चुनाव किया, उस समय इस बात का भी जोर था कि आर्टस के स्टूडेंट्स कि आईएएस बनने कि संभावना अधिक रहती है|उनके साथ बचपन में कुछ ऐसी घटनाएं घटी, जिस वजह उन्हें अपनी छोटी सी उम्र से ही इस छेत्र में आना चाहा| और अंत में निशांत ने हिंदी के साथ अपना यह सफर जारी रखा| वे कहते है जब में डैफ या डिटेल्टड एप्लीकेशन फॉर्म भर रहा था तो पूरे फॉर्म में न जाने कितनी बार हिंदी शब्द आया क्योंकि  प्राइमरी से लेकर डिग्री कॉलेज यहां  तक कि बाद कि नौकरियां में भी हर जगह हिंदी ही थी| बीए, एमए  करने के बाद निशांत ने बहुत सी परीक्षाएं दीं और अनुभव शेयर करते हुए कहते है कि मैने सरकारी नौकरी के लगभग हर समूह में काम किया है| निशांत क्लास दस के बाद से ही जॉब करने लगे थे क्योकि उन्होंने हमेशा अपना खर्च उठाने में यकीं किया| यही नहीं यूपीएससी परीक्षा कि तैयारियों के दौरान भी वे जॉब में थे|

निशांत का कहना है, कि उन्हें बचपन से ही पढ़ाई और एक्सट्राक्यूरीकुलर एक्टीविटीज़ दोनों में टॉप करने कि आदत थी| ऐसे में जब यूपीएससी के पहले प्रयास में और साथ ही में उसी साल दिए यूपीएससी के पहले अटेम्पट,दोनों में वे असफल हुए तो यह हार बर्दाशत नहीं कर पाए, इस समय वे काफी निराश भी हो गए थे| लकिन निशांत ने हार नहीं मानी जैसा कि वे कहते है कि उनकी पसंदीदा गीत है रुक जाना नहीं, तू कही हार के… इसी कि तर्ज पर उन्होंने कभी जीवन में रुकना नहीं सीखा| चाहे जो भी हालत हुई हों,निशांत प्रयास करते रहे और साथ ही यह सलाह निशांत दूसरे कैंडिडेट्स को भी देते है कि चाहे जो हो तैयारी के दौरान निरंतरता बनी रहनी चाहिए|


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